Thursday, 14 May 2009
मेरा एडमिशन तो पक्का...
कहते है ना बच्चों की परवरिश और भविष्य का संवारना एक ऐसी जिम्मेदारी है जिसमें सारी जिंदगी भी कम सी लगती है। लेकिन यदि आपसे कोई पूछे कि आपका बच्चा कितने साल की उम्र में स्कूल जाना शुरू हुआ था तो आप कहेंगे वही जिस नॉर्मल उम्र में सब बच्चे स्कूल जाना शुरू करते है। लेकिन यदि आपसे यह कहा जाये कि आपके बच्चे का ऐडमिशन जन्म के साथ ही स्कूल में हो जायेगा तो आप कहेंगे वो कैसे? जी हां अब उसको स्कूल में जाने के लिये दो साल का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। जन्म से पहले ही उसकी ऐडमिशन और जन्म लेते ही स्कूल में एंट्री। शैमरॉक स्कूल के मैनेजिंग डायरेक्टर अमोल अरोड़ा का कहना है कि हमारे प्ले स्कूल से यह कॉन्सेप्ट की शुरूआत हुई है। और कई अभिभावकों ने हमारे यहां पर फोन व मेल करके हमें इस कॉन्सेप्ट के बारें में पूछा। अभी वो जन्म से पहले ही उनका रजिस्ट्रेशन करवाकर जन्म के बाद यहां स्कूल में भेजने को तैयार हो गये है। उन्होंने कहा कि अब उनको दो वर्ष तक का इंतजार करना भी गवारा नहीं है। रिसेशन के टाइम में भी पेरेंट्स और प्ले स्कूल के लिये यह कॉन्सेप्ट फायदे का सौदा हो रहा है। आगे अरोड़ा जी ने कहा कि एडवांस ऐडमिशन पेरेंट्स को जेब का फायदा भी दें रही है जैसे कि उनको फीस आदि में डिसकाउंट आसानी से मिल जाता है। इसके अलावा मदर्स प्राइड की वर्किंग डायरेक्टर एंड हेड पब्लिक रिलेशन की सरिता सयाल ने कहा कि एडवांस ऐडमिशन को चाह रहे है। और इसमें एडमिशन लेना भी आसान है। बस जब वो बच्चे का रजिस्ट्रेशन करवाने के लिये आएंगे तो उनका टोकन आमंउट ही भरना होगा। इसके अलावा एडवांस एडमिशन के फायदे होंगे कि एडमिशन के बाद बच्चा स्कूल की जिम्मेदारी होगी। और उसके जन्म के बाद उसकी परवरिश और ट्रेनिंग आदि सब स्कूल की देखरेख में ही होगा। इसके अलावा पेरेंट्स को बुलाकर बच्चे की एक्टिविटिस की जानकारी भी उनको दे दी जाएंगी। कुछ अभिभावको ने कहा कि यह ऑप्शन उन पेरेंट्स के लिये काफी अच्छा है जो लोग बिजी रहते है और साथ ही आर्थिक दृष्टिï से भी इसमें फायदा है। मैंने अपने बच्चे के लिये रजिस्टे्रशन करवाया है जिससे मेरे बच्चे का भविष्य अब सुरक्षित है। लेकिन दूसरी ओर कुछ ऐसे भी थे जिनको यह मजाक लगा कि उस बच्चे का एडमिशन हो रहा है जो अभी तक आया ही नहीं। यह एक प्री-स्कूल्स की तरफ से की जा रही एक सोचा-समझा बिजनेस फंडा है। 7 महीने की बच्ची की मां ने कहा कि मैं दो वर्ष पहले ही अपने बच्चों को स्कूल में आखिर क्यों भेजूं। सबके विचार और सोच अपनी-अपनी। लेकिन कुछ भी कहें जिस तरह से आज स्कूल्स की फीस बढ़ाने और एडमिशन की कटौती के झंझटों से मुक्ति पाने की यह नयी पहल काफी सुखद नजर आती है।
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