Wednesday 29 April 2009

देखो, देखो यह भी देखो!

चुनानी महारथ के
बीच बिकती इनकी चमक है
भाई, बहन रिश्तों की कब्र बनी
अब तो सब कुछ मनी
है मैं तो जानती थी यही होने वाला है
क्योंकि इस चुनावी खेल में
एक दिन देखो राजा भी रंक है।

Tuesday 28 April 2009

खास ख्याल की जरूरत है इस उम्र में!


इंटरनेट, टीवी, सिनेमा आज हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा हैं। परंतु बताया जाता है कि इन्ही की वजह से बच्चों पर गलत असर भी पड़ रहा है। तो अधिकतर अभिभावकों का जवाब होगा हां। लेकिन गलत प्रभाव कैसा? इनके रोजाना के प्रयोग से अधिकतर यंग ग्रुप में सेक्स को लेकर एक अलग ही उत्साह जागृत हुआ है, जिसके कारण वो सेक्स से जुड़ी परिभाषाओं को जानने के लिये उत्सुक भी है। यदि सोचें तो यह है कि उनको इससे जुड़े हानिकारक प्रभावों के बारे में पता होना जरूरी है लेकिन यदि वह इसी नॉलेज को एडवेंचर, मौज-मस्ती और मजा जैसे शब्दों के साथ जोड़कर देखने लगे तो अभिभावको का सतर्क होने की ज्यादा जरूरत है। आखिर इन चीजों से दूर भी तो नहीं किया जा सकता, क्योंकि किशोर उम्र में सब कुछ जानने की ललक होती है और यदि उसे सही तौर पर समझाया ना जाये तो उसको दिमाग पर एक अलग ही छवि के साथ प्रभाव पड़ता है। अरे, यार पापा हमें यह क्यों नहीं देखने देते, मैं भी बड़ा हो गया हूं तो मुझे भी यह सब जानने की आवश्यकता है, इस बार दोस्त के घर पर चलकर ही देखेंगे आदि....। आप समझ सकते है कि किशोर उम्र का अनुभव। लेकिन आजकल की फास्ट लाइफ में जब सब कुछ फास्ट हो गया है तो सेक्स, रिलेशनशिप जैसी बातें कैसी पीछे रह सकती है। सोचिए क्योंकि इसका जवाब भी सिर्फ अभिभावकों के पास ही है। अभी कुछ ही दिन पहले ब्रिटेन में 13 साल के लड़के और 15 साल की उसकी गर्लफ्रेंड के अभिभावक बनने का मामला हाल ही में सामने आया था। उस किशोर को यह भी पता नहीं था कि अपने बच्चे के पालन पोषण के लिए उसके पास पैसे होने चाहिए! यह सही है कि इंटरनेट पर आज हर प्रकार की सामग्री उपलब्ध है और किशोर वय के लड़के तथा लड़कियाँ जिज्ञासावश इन्हें देखते और पढ़ते भी हैं और इससे वे समय से पहले परिपक्व होने की दिशा में बढ़ जाते है, परंतु किशोरों में बढ़ रही सेक्स के प्रति जिज्ञासा के लिए मात्र इन माध्यमों को दोष देना सही भी नहीं है। हाल ही में एक शोध के अनुसार अधिसंख्य किशोर लड़कों को कम उम्र में लड़कियों के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करने में कोई बुराई नहीं नजर आती। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, वहां ऐसे लड़कों की तादाद काफी ज्यादा है, जो किसी लड़की से अपने रिश्ते के बारे में बात करते समय भद्दी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा नशा करना और सेक्स के लिए दबाव डालने के भी मामले सामने आते रहे हैं। इसके लिये जरूरी है कुछ बातें जिनपर ध्यान देना जरूरी है क्योंकि यह उम्र का नहीं बल्कि बढ़ती तकनीकी चलन का दोष है जिसे हमें संभालकर समझाना होगा। - सबसे पहली जिम्मेदारी अभिभावकों की है कि वे अपने बच्चों को समझाएं कि कम उम्र में शारीरिक संबंध स्थापित करना किस प्रकार से मानसिक और शारीरिक कष्ट पहुंचा सकता है। - अपने बच्चों से मित्रवत संबंध रखें ताकी वे आपके साथ खुलकर बात कर सकें। - बच्चों के साथ सहज रहें, उनकी किसी मित्र को लेकर उन्हें ना चिढाएं। उन्हें यह अहसास ना होने दें कि पुरूष मित्र या महिला मित्र का होना कुछ खास होता है। - बच्चों को सही समय पर यौन शिक्षा अवश्य दें। हमारे देश में अभी स्कूलों में यौन शिक्षा नहीं दी जाती इसलिए अभिभावकों को यह जिम्मेदारी उठानी चाहिए। - बच्चों को जरूरत से अधिक बंधन में ना रखें। उन्हें आज़ादी का अहसास होने दें। परंतु साथ ही उनपर नजऱ रखें। - बच्चों के अंदर जिम्मेदारी की भावना भरें। उन्हें शुरू से ही यह अहसास कराएं कि आसानी से कुछ नहीं मिलता और क्षणिक आनंद की कभी कभी भारी कीमत चुकानी पड़ती है। - सभी टॉपिक्स पर उनके साथ बातचीत करें। - उनके साथ समय बिताये लेकिन उनके साथ हमेशा चिपकें रहें, या उन पर रोकटोक करें आदि करने से बचें। - याद रखें यदि आप बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार करेंगे तो वो भी आपको अपने दिल की बात जरूर बताएंगे। बस थोड़ी सी सावधानी, आपके बच्चे को रोक सकती है गलत राह पर चलने से।

सुनसान हुआ अप्रैल का शुक्रवार


वर्ष २००९ के पहले 6 महीने के अप्रैल का एक महीना ऐसा भी जब एक भी फिल्म शुक्रवार को परदे पर नजर नहीं आ रही हैं। आखिर कहें तो सुनसान हो गया शुक्रवार। फिल्मी दीवानों को हर शुक्रवार का इंतजार रहता है लेकिन इस बार शुक्रवार को लग गई शनि की नजर और उस पर आई मंगल की छाया। असल में अप्र्रैल २००९ फिल्मी कारोबार से बिल्कुल ठंडा है इसके पीछे बहुत से तो नहीं बल्कि कुछ कारण जरूर है। एक तो फिल्म निर्माताओं और मल्टीप्लैक्स मालिकों के बीच का भयंकर विवाद। आप सोचते होंगे आखिर यह विवाद है क्या बला। फिल्म निर्माता और मल्टीप्लैक्स मालिकों के बीच फिल्म के शेयर को लेकर आए दिन झगड़ा होता रहता है। फिल्म निर्माता और वितरक ज्यादा मुनाफा चाहते हैं और मल्टीप्लैक्स वाले देना नहीं चाहते। इसको लेकर कई बार खींचतान हुई है और बात जब ज्यादा बढऩे लगी तो निर्माता और वितरक एक होकर मल्टीप्लैक्स वालों का मुकाबला करना चाहते हैं। बात सिर्फ शेयर की नहीं है और भी कई शिकायतें निर्माताओं को हैं। जैसे मल्टीप्लैक्स वाले ही इस बात का फैसला करते हैं कि कौन-सी फिल्म कितना चलेगी। वे कभी भी फिल्म को उतार देते हैं। शो और उसके समय का फैसला भी ज्यादातर वे ही लेते हैं। उनके इस कदम से हर फिल्म के प्रदर्शन के पहले निर्माता और उनके बीच माथापच्ची होती है। फिल्म निर्माता चाहते हैं कि इन सारे मामलों पर सहमति बन जाए, तभी वे फिल्म प्रदर्शित करेंगे। इसी विवाद को लेकर बॉलीवुड के दो बड़े महारथी अपने गिले-शिकवे भूलाकर आमिर खान औैर शाहरूख खान भी सामने आये। दोनों फिल्म निर्माता भी हैं और बॉलीवुड के अन्य निर्माताओं के दर्द से अच्छी तरह परिचित हैं। आमिर ने स्पष्ट रूप से कहा कि निर्माताओं को शेयर में 50 प्रतिशत हिस्सा चाहिए और वे झुकने वाले नहीं हैं। यदि मल्टीप्लैक्स निर्माता बात नहीं मानते हैं तो वे सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों में फिल्में प्रदर्शित करेंगे क्योंकि कुछ वर्ष पहले फिल्में सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों में लगती थी और सुपरहिट भी होती थीं। आमिर के विपरीत शाहरुख ने मजाकिया लहजे में बात की। उन्होंने कहा कि पूरा बॉलीवुड एक परिवार की तरह है और उनके बीच झगड़ा होना आम बात है। वे यहाँ पर मल्टीप्लैक्स वालों को धमकाने के लिए नहीं आए हैं। उनका मानना है कि यह विवाद बहुत जल्दी सुलझा लिया जाएगा। इसी बीच निर्माता भी अपनी चालाकी करने से बाज नहीं आये क्योंकि उनको पता है कि अप्रैैल के महीने में चुनावी गरमी का मौसम हैऔर साथ ही आईपीएल की बारिश भी हो रही है जिसके चलते थियेटर में फिल्मों को उतारना खतरे की घंंटी बजाने के बराबर सी लगती है। इसीलिये वो भी आजकल रोड शोज करके चुनाव का मजा ले रहे है रात को ठंडी हवा में क्रिकेट का। वाह जनाब! तो इसीलिये इस महीने इस विवाद पर जितनी मिर्ची लगानी है क्यों ना लगा ली जाये। जिससे एक-दूसरे को सबक सिखाने का अवसर भी सफल हो जायेगा। फिल्म निर्माता और मल्टीप्लैक्स मालिक कितना भी लड़-झगड़ लें, वे इस बात से इंकार नहीं कर सकते हैं कि वे एक-दूसरे के पूरक हैं। मल्टीप्लैक्स के आने से फिल्म व्यवसाय में इजाफा हुआ है। छोटे निर्माता और कला फिल्म बनाने वालों को भी अब अपनी फिल्म प्रदर्शित करने का अवसर मिलने लगा है। सुपरहिट फिल्मों का व्यवसाय जहाँ करोड़ों में पहुँच गया है तो उसमें मल्टीप्लैक्स के योगदान से इंकार नहीं किया जा सकता। उधर मल्टीप्लैक्स वाले सिनेमा निर्माताओं पर पूरी तरह निर्भर हैं। आने वाले 6 महीने में 45 से भी ज्यादा बड़े बजट की फिल्में आने वाली है जिसका फायदा तो सभी उठाना चाहेंगे। इसीलिये सोच-विचार कर इस विवाद को खत्म करने का प्रयास करें।

Sunday 19 April 2009

तेरे पास आकर...





सारी जिंदगी सिमट जाती है तेरे आगोश में आने के बाद। जी हां, प्यार में लिपटी हुई रिलेशनशिप जन्नत का एहसास कराती है लेकिन इसका आधार संपूर्ण सेक्स पर होता है। रिलेशनशिप का सबसे अहम पार्ट होता है सेक्स। सेक्स करते समय हमेशा यही दिमाग में रहता है या फिर अपने पार्टनर से पूछा जाता है कि क्या सही है और क्या गलत? आप जब एक-दूसरे के साथ प्ले करते है तो कम्पलीट सेटिसफेक्शन मिलना भी जरूरी है इसके लिये कुछ सिम्पल टिप्स। - सेक्स की शुरूआत करने से पहले अपने आपको रिलेक्स करना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह आपके एंज्वॉयमेंट का पार्ट है। इसीलिये अपनी चिंता, परेशानी, और गुस्से को बेडरूम के बाहर ही छोड़कर आये, छोड़ दीजिये काम के बारे में सोचना,फेमिली प्रॉब्लम्स को। बॉथ लेकर रिलेक्स को प्ले के लिये। - अपने पिछले अच्छे दिनों को सोचिये और अपनी उत्तेजना को जागृत करें। इसके लिये आप मूवीज, म्यूजिक और बुक्स का सहारा लें सकते है। - अपने आपसे खेलने का मजा भी कुछ और ही होता है। टच योर स्किन, योर मैन पार्ट्स और पूरी बॉडी। खेलते समय आपके हाथ की मूवमेंंट में भी एक कशिश होनी चाएि और वेराइटी भी। जैसे पुल करना, पिंच करना, रब करना आदि। इसके लिये मार्केट मे बॉडी वाइब्रेट्रर भी मिलते है जिन्हें इस खास मौके पर यूज किया जाता है। इस वाइब्रेट्रर के साथ पूरी बॅाडी पर प्ले करें। - प्ले विद् ए बॉडी के साथ आप दोनों अपने में टोटल एंज्वॉय करें और साथ ही जब ऐसा लगे कि अब डीप प्ले के तैयार है तो शुरू करें लेकिन किस पोजीशन से शुरूआत करना चाहते इसके लिये राय जरूर लें। अक्सर माना गया है कि बैक एरिया से की गई शुरूआत लॉंग लास्टिंग होती है। इसके बाद धीरे से हिप बैक एरिया के साथ रबिंग करते हुए प्ले करें। - प्ले करते समय किसी भी तरह की जल्दबाजी न करें। सांसों का खेल भी जरूरी है। जी हां, गहरी सांस भरें उसे रोकें और छोड़े। गहरी सांस भरने के बाद मेन पार्ट सेटिंग पोजीशन में आ जाता है । इसीलिये आपकी बॉडी और सांस भी तालमेल होना भी बेहद जरूरी होजाता है। - इस पोजीशन में आने के बाद अपने आपको गुस्से में न आने दें कि क्यों नहीं हो रहा आदि। अपने आपको और साथी दोनों को सपोर्ट करें। यदि शुरूआत में कुछ नहीं होता तो दूसरी बार अपनी पोजीशन को बदल सकते है। सेक्स करते समय यदि छोटी-छोटी बातों को भी ध्यान में रखा जाये तो आसानी से उसको एंज्वॉय किया जा सकता है।

कुछ डिफरेंट हो जाएं...


सेक्स यह एक शब्द आपमें एक नई ऐनर्जी पैदा कर देता है और साथ ही क्या आप जानते है सेक्स हमारे जीवन को मानसिक व शारीरिक तौर पर स्वस्थ रखने में भी सहायक है। जिससे थकान, तनाव, अकेलापन आसानी से दूर किया जा सकता है। लेकिन इसके लिये जरूरी है कि आप दोनों को सेक्स के प्रति एक्साइटमेंट व एक्सपेरिमेंटल होना। कुछ खास नहीं लेकिन इस क्रिया में अपने आपको जागरूक रखना भी बेहद जरूरी है इसीलिये अपनी फंटासी को या नये-नये उपयोगों को करने से पहले अपने पार्टनर के साथ खुलकर डिसकस करें कि आप ऐसा क्यों करना चाहते है। कुछ डिफरेंटसोचें: अंग्रेजी में जिसे आउट ऑफ द बॉक्स कहते हैं, वैसा सोचें, यानी कि कुछ ऐसा जो आपने पहले सोचा भी ना हो तथा टिपिकल ना हो। तो हमेशा बेडरूम ही क्यों? उन पलों को आप कहीं भी महसूस कर सकते हैं, फर्श पर, सोफे पर, लीविंग रूम में अथवा रसोई में, बाथटब में, गार्डन में। अपनी क्रिऐटिविटी को लगाम मत लगाइए और देखिए इससे कितना बड़ा फर्क आता है। छोटी छोटी चीजें: कुछ ऐसी चीजें भी है जो रोचकता को और भी बढ़ा सकती है। एक रेशमी कपड़ा लीजिए और अपने साथी की आंखों पर पट्टी बाँध दीजिए। या फिर जब आप दोनों उन पलों का आनंद लेने के लिए तैयार हों जाएँ तो पहले एक साथ आइसक्रीम का मजा उठाएँ। या फिर किसी सॉफ्ट टॉय, प्लियो के साथ, वेस्ट रिंग के साथ छोटी-छोटी गेम में एक-दूसरे को हराना, यकीन मानिए आपको कई नए अनुभव होंगे। तकरार के बाद प्यार : पति पत्नी हैं तो लड़ाई तो होगी ही। वैसे ऐसा माना जाता है कि जिन युगलों के बीच लड़ाई नहीं होती उनके बीच सामंजस्य की भी कमी होती है। यहां लड़ाई से हमारा आशय मीठी तकरार से है, जो पति और पत्नी के बीच होना स्वाभाविक है। लेकिन उस तकरार का भी आप फायदा उठा सकते हैं। हल्की फुल्की लड़ाई के बाद अपने साथी को मनाने का सबसे आसान रास्ता होता है सेक्स। अविश्वसनीय? बिल्कुल नहीं। यदि आप दोनों एक दूसरे से बेहद प्यार करते हैं तो यकीन मानिए तकरार के बाद का प्यार सबसे आनंददायी होता है। सेक्स होलीडे: सेक्स होलीडे यानी कि सेक्स के लिए छुट्टियाँ। जब आप रोजमर्रा के कामकाज से बोर होने लग जाएं तो सप्ताहांत की छुट्टियों का भरपूर आनंद उठाएं और कही आस-पास घूमने के लिये निकल जाये लेकिन इस बार आप घूमने नहीं सेक्सी छुटियों को एंज्वांय करने जा रहे है। क्या ऐसा भी सोचा है? हमेशा सेक्स के बारे में सोचना भी गलत है लेकिन यदि उसके साथ कुछ कल्पना या क्रिऐटिविटी हो तो उसे करने का मजा ही कुछ और होगा। रात के समय आप अंधेरे में कार से घूमने निकलें तो, यही काम आप छत की तरफ जाने वाले सीढिय़ों पर भी कर सकते हैं बशर्ते वहाँ अंधेरा हो। पार्टनर पर किसी प्रकार का दबाव ना डालें यदि वो इस तरह करने के लिये अपने आपको सहज नहीं मानती तो छोड़ दें फिर कुछ अनुभवों का प्रयोग कर सकते है।