Tuesday 28 April 2009

खास ख्याल की जरूरत है इस उम्र में!


इंटरनेट, टीवी, सिनेमा आज हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा हैं। परंतु बताया जाता है कि इन्ही की वजह से बच्चों पर गलत असर भी पड़ रहा है। तो अधिकतर अभिभावकों का जवाब होगा हां। लेकिन गलत प्रभाव कैसा? इनके रोजाना के प्रयोग से अधिकतर यंग ग्रुप में सेक्स को लेकर एक अलग ही उत्साह जागृत हुआ है, जिसके कारण वो सेक्स से जुड़ी परिभाषाओं को जानने के लिये उत्सुक भी है। यदि सोचें तो यह है कि उनको इससे जुड़े हानिकारक प्रभावों के बारे में पता होना जरूरी है लेकिन यदि वह इसी नॉलेज को एडवेंचर, मौज-मस्ती और मजा जैसे शब्दों के साथ जोड़कर देखने लगे तो अभिभावको का सतर्क होने की ज्यादा जरूरत है। आखिर इन चीजों से दूर भी तो नहीं किया जा सकता, क्योंकि किशोर उम्र में सब कुछ जानने की ललक होती है और यदि उसे सही तौर पर समझाया ना जाये तो उसको दिमाग पर एक अलग ही छवि के साथ प्रभाव पड़ता है। अरे, यार पापा हमें यह क्यों नहीं देखने देते, मैं भी बड़ा हो गया हूं तो मुझे भी यह सब जानने की आवश्यकता है, इस बार दोस्त के घर पर चलकर ही देखेंगे आदि....। आप समझ सकते है कि किशोर उम्र का अनुभव। लेकिन आजकल की फास्ट लाइफ में जब सब कुछ फास्ट हो गया है तो सेक्स, रिलेशनशिप जैसी बातें कैसी पीछे रह सकती है। सोचिए क्योंकि इसका जवाब भी सिर्फ अभिभावकों के पास ही है। अभी कुछ ही दिन पहले ब्रिटेन में 13 साल के लड़के और 15 साल की उसकी गर्लफ्रेंड के अभिभावक बनने का मामला हाल ही में सामने आया था। उस किशोर को यह भी पता नहीं था कि अपने बच्चे के पालन पोषण के लिए उसके पास पैसे होने चाहिए! यह सही है कि इंटरनेट पर आज हर प्रकार की सामग्री उपलब्ध है और किशोर वय के लड़के तथा लड़कियाँ जिज्ञासावश इन्हें देखते और पढ़ते भी हैं और इससे वे समय से पहले परिपक्व होने की दिशा में बढ़ जाते है, परंतु किशोरों में बढ़ रही सेक्स के प्रति जिज्ञासा के लिए मात्र इन माध्यमों को दोष देना सही भी नहीं है। हाल ही में एक शोध के अनुसार अधिसंख्य किशोर लड़कों को कम उम्र में लड़कियों के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करने में कोई बुराई नहीं नजर आती। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, वहां ऐसे लड़कों की तादाद काफी ज्यादा है, जो किसी लड़की से अपने रिश्ते के बारे में बात करते समय भद्दी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा नशा करना और सेक्स के लिए दबाव डालने के भी मामले सामने आते रहे हैं। इसके लिये जरूरी है कुछ बातें जिनपर ध्यान देना जरूरी है क्योंकि यह उम्र का नहीं बल्कि बढ़ती तकनीकी चलन का दोष है जिसे हमें संभालकर समझाना होगा। - सबसे पहली जिम्मेदारी अभिभावकों की है कि वे अपने बच्चों को समझाएं कि कम उम्र में शारीरिक संबंध स्थापित करना किस प्रकार से मानसिक और शारीरिक कष्ट पहुंचा सकता है। - अपने बच्चों से मित्रवत संबंध रखें ताकी वे आपके साथ खुलकर बात कर सकें। - बच्चों के साथ सहज रहें, उनकी किसी मित्र को लेकर उन्हें ना चिढाएं। उन्हें यह अहसास ना होने दें कि पुरूष मित्र या महिला मित्र का होना कुछ खास होता है। - बच्चों को सही समय पर यौन शिक्षा अवश्य दें। हमारे देश में अभी स्कूलों में यौन शिक्षा नहीं दी जाती इसलिए अभिभावकों को यह जिम्मेदारी उठानी चाहिए। - बच्चों को जरूरत से अधिक बंधन में ना रखें। उन्हें आज़ादी का अहसास होने दें। परंतु साथ ही उनपर नजऱ रखें। - बच्चों के अंदर जिम्मेदारी की भावना भरें। उन्हें शुरू से ही यह अहसास कराएं कि आसानी से कुछ नहीं मिलता और क्षणिक आनंद की कभी कभी भारी कीमत चुकानी पड़ती है। - सभी टॉपिक्स पर उनके साथ बातचीत करें। - उनके साथ समय बिताये लेकिन उनके साथ हमेशा चिपकें रहें, या उन पर रोकटोक करें आदि करने से बचें। - याद रखें यदि आप बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार करेंगे तो वो भी आपको अपने दिल की बात जरूर बताएंगे। बस थोड़ी सी सावधानी, आपके बच्चे को रोक सकती है गलत राह पर चलने से।

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